रत्नों की घिसाई (तरासने) से संवंधित औजार
Tools for cutting and polishing Gemstones
कई सौ वर्षों से विभिन्न रंगीन रत्नों की घिसाई का केंद्र रहा है और यहाँ के कुशल कारीगर देशी औजारों से रत्नों के खरड़ को तरास कर उसे बहुमूल्य रत्नों में बदलते रहे हैं.
कटाई के औजार: लगभग सौ साल पहले रत्नों को काटने के लिए लोहे के तार का प्रयोग किया जाता था. आरी जैसे औजार में लोहे का तार बांध कर उससे रत्नो को काटा जाता था. उसके बाद के समय में लोहे या स्टील की चाँती में नीले का चुरा लगा कर काटा जाने लगा.
घाट बनाने के औजार: रंगीन रत्नों के घाट (Pre-shape) बनाने के लिए सान का प्रयोग होता है. अब तो डायमंड सान पे काम होने लगा है परंतु पहले कुरंड की सान बनती थी. लाख की चपड़ी में कुरंड का मसाला मिला कर और उसमे थोड़ा सा नीले का चुरा डाल कर ये सान बनता था. यह सान गोल चक्केनुमा होता था और इसे घूमने के लिए लकड़ी के डंडे में चमड़े की डोरी लगाई जाती थी. इस चमड़े की डोरी को तस्मा कहता थे. घटैय्या हाथ से डंडे को खिंचता था और तसमे के सहारे सान घूमती थी. जिस लकड़ी के सामान पर यह सान चढ़ाया जाता था उसे ठिया बोलते थे और ठिये में लकड़ी के बेलन के सहारे सान को अटकाया जाता था.
नगीने को गरम होने से बचने के लिए पानी लगाना पड़ता था और इसके लिए मिटटी की एक कुण्डी में पानी भर कर रखा जाता था। यदि नगीना छोटा होता था तो उसे हाथ से घिसने के बजाय कांडी में चिपका कर घिसते थे. यह लकड़ी या बांस की छोटी सी डंडी के ऊपरी हिस्से में लाख चिपका कर बनाई जाती थी.
कैरकी (Round beads) के घाट थोक और सस्ते में बनाने लिए पटरे का इस्तेमाल होता था. मुनब्बत करते समय खारे डालने के लिए चपड़ी की चांटी बनाई जाती थी.
पालिस के औजार: रत्नों को चमकाने के लिए घाट की पालिस की जाती थी. माथइले और तावड़ो की पॉलिश के लिए अलग अलग तरह के औजार होते थे. मथेला (पोटा, मणि, कैरकी आदि) पोलिश करने के लिए पहले उसे गवे पर या चन्दन की लकड़ी पर घिसा जाता था और बाद में नमदे से पोलिश किया जाता था।
तावड़े की पोलिश पटसान पर होती थी. नगीनो को कांडी में चिपका कर उसमे दासे और बच्चियां लगाई जाती थी.
सस्ते भाव में पोटे, मणि, और कैरकी की पालिस वर्णी मे डाल कर किया जाता था और इसे वर्णी पालिस कहते थे.
नगीने तरासने के पुराने औजार के बारे में आपको कोई जानकारी हो तो कृपया कॉमेंट पर जरूर लिखें.
Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is also ISO 9000 professional)
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