जयपुर की राजमाता गायत्री देवी का आज निधन हो गया। वे ९० वर्ष की थीं। वे काफी दिनों से बीमार थीं एवं अभी कुछ ही दिनों पूर्व लन्दन से जयपुर वापस पधारीं थीं। जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में उन्होंने अन्तिम साँस ली।
राजमाता गायत्री देवी बंगाल के कूचबिहार राज्य की राज कुमारी थीं एवं अपने समय की अद्वितीय सुंदरी। जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के पोलो खेल पर मुग्ध हो कर उन्होंने उनका वरण किया व जयपुर की महारानी बनीं। महारानी बनने के बावजूद वे महलों की कैद हो कर नहीं रहीं। उन्होंने जन सेवा के लिए अपने आपको समर्पित किया। भारत स्वतंत्र होने के बाद वे राजनीती में भी आईं व तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना कर उससे चुनाव लड़ा व जयपुर से सांसद रहीं। जब १९७६ में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा की तो उन्होंने इसका डट कर विरोध किया। उन्हें उस समय इस विरोध की सजा भी भुगतनी पड़ी एवं वे ६ महीने तक कारागार में भी रहीं। भारतीय जनता पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के बाद उन्ही का नाम लिया जाता था।
१९८९ में उनके लड़के व जयपुर महाराजा कर्नल भवानी सिंह ने कांग्रेस पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ा तव उन्होंने बेटे के स्थान पर तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरधारीलाल भार्गव का समर्थन किया। स्वर्गीय गिरधारीलाल भार्गव का सांसद के लिए वह पहला चुनाव था एवं उस चुनाव में वे ८० हज़ार से भी अधिक मतों से विजयी रहे थे। स्वर्गीय सांसद गिरधारीलाल भार्गव इस बात के लिए सदैव राजमाता का एहसान मानते थे।
आज राजमाता हमारे बीच नहीं रहीं पर जयपुर की जनता उन्हें सदैव स्मरण करती रहेगी।
प्रस्तुति:
वर्धमान जेम्स
राजमाता गायत्री देवी बंगाल के कूचबिहार राज्य की राज कुमारी थीं एवं अपने समय की अद्वितीय सुंदरी। जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के पोलो खेल पर मुग्ध हो कर उन्होंने उनका वरण किया व जयपुर की महारानी बनीं। महारानी बनने के बावजूद वे महलों की कैद हो कर नहीं रहीं। उन्होंने जन सेवा के लिए अपने आपको समर्पित किया। भारत स्वतंत्र होने के बाद वे राजनीती में भी आईं व तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना कर उससे चुनाव लड़ा व जयपुर से सांसद रहीं। जब १९७६ में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा की तो उन्होंने इसका डट कर विरोध किया। उन्हें उस समय इस विरोध की सजा भी भुगतनी पड़ी एवं वे ६ महीने तक कारागार में भी रहीं। भारतीय जनता पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के बाद उन्ही का नाम लिया जाता था।
१९८९ में उनके लड़के व जयपुर महाराजा कर्नल भवानी सिंह ने कांग्रेस पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ा तव उन्होंने बेटे के स्थान पर तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरधारीलाल भार्गव का समर्थन किया। स्वर्गीय गिरधारीलाल भार्गव का सांसद के लिए वह पहला चुनाव था एवं उस चुनाव में वे ८० हज़ार से भी अधिक मतों से विजयी रहे थे। स्वर्गीय सांसद गिरधारीलाल भार्गव इस बात के लिए सदैव राजमाता का एहसान मानते थे।
आज राजमाता हमारे बीच नहीं रहीं पर जयपुर की जनता उन्हें सदैव स्मरण करती रहेगी।
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(Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry)
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